*रोटी से विचित्र कुछ भी नहीं है... इंसान कमाने के लिए भी दौड़ता है... और पचाने के लिए भी दौड़ता है ....*
*"नहा कर गंगा में सब पाप धो आया ...*
*वहीं से धोये पापों का पानी भर लाया ....*
*वाह रे इन्सान तरीका तेरा समझ में नहीं आया..*.
*"पाप हमारी सोच से होता हैं,*
*शरीर से नही*
*और*
*तीर्थों का जल,*
*हमारे शरीर को साफ करता हैं,*
*हमारी सोच को नही।"*
*☘सुप्रभात☘*
*"नहा कर गंगा में सब पाप धो आया ...*
*वहीं से धोये पापों का पानी भर लाया ....*
*वाह रे इन्सान तरीका तेरा समझ में नहीं आया..*.
*"पाप हमारी सोच से होता हैं,*
*शरीर से नही*
*और*
*तीर्थों का जल,*
*हमारे शरीर को साफ करता हैं,*
*हमारी सोच को नही।"*
*☘सुप्रभात☘*
No comments:
Post a Comment